![]() सर-ऐ-आम मुझे ये शिकायत है ज़िन्दगी से, क्यूँ मिलता नहीं मिजाज मेरा किसी से। |
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको, ऐ ज़िंदगी, मुझे रोज-रोज तमाशा न बनाया कर। |
मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते! |
मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे, अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे, मुझे शिकवा ना हो कभी भी किसी से, हे ईश्वर !! मुझे सुःख और दुःख के पार जीना सिखा दे |
मैं भूला नहीं हूँ किसी को मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं ज़माने में, बस थोड़ी ज़िन्दगी उलझ पड़ी है दो वक़्त की रोटी कमाने में| |
मौत से कैसा डर. मिनटों का खेल है, आफत तो जिंदगी है बरसों चला करती है |
यह ज़िन्दगी बस सिर्फ पल दो पल है, जिसमें न तो आज और न ही कल है, जी लो इस ज़िंदगी का हर पल इस तरह, जैसे बस यही ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल है। |
रोज़ दिल में हसरतों को जलता देख कर, थक चुका हूँ ज़िंदगी का ये रवैया देख कर। |
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नजर तो है क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजर से हम। |
वही रंजिशें वही हसरतें, न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई, है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी, न गुज़र सकी न खत्म हुई। |
वो ज़िंदगी जिसे समझा था कहकहा सबने, हमारे पास खड़ी थी तो रो रही थी अभी। |
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता. |
सबक वो हमको पढ़ाए हैं ज़िंदगी ने कि हम, हुआ था जो इल्म किताबों से वो भी भूल गए। |
समझ ना आया ऐ जिंदगी तेरा ये फलसफा, एक तरफ कहती है सबर का फल मीठा होता है और दूसरी तरफ कहती है वक़्त किसी का इंतजार नही करता |
सुन ऐ ज़िंदगी मुश्किलों के सदा हल दे, थक न सके हम फुर्सत के कुछ पल दे, दुआ है दिल से सबको सुखद आज, और एक बेहतर कल दे |
हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते रहिये जनाब। |
हर बात मानी है तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी। |
हल्का हुआ बोझ जब.. बस्ते का जनाब…! तो ज़िन्दगी.. भारी हो गई…!! |
हँसी आपकी कोई चुरा ना पाये, आपको कभी कोई रुला ना पाये, खुशियों का दीप ऐसे जले ज़िंदगी में कि कोई तूफ़ान भी उसे बुझा ना पाये। |
हासिल-ए-ज़िंदगी हसरतों के सिवा और कुछ भी नहीं, ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं। |
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