![]() जीत किसके लिए, हार किसके लिए, ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए, जो भी आया है वो जायेगा एक दिन, फिर ये इतना अहंकार किसके लिए.. |
ऐ मौत कितनी वफ़ा है तुझमें मैं आज आज़माना चाहता हूँ जि़न्दगी ने बहुत रूलाया है मुझे तेरा साथ मिले तो मैं जिंदगी को रूलाना चाहता हूँ. |
कदम-कदम पे नया इम्तिहान रखती है, ज़िन्दगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है। |
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची, कभी अपनी बेकसी बेची, चंद सांसे खरीदने के लिए रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची |
कभी धूप दे… कभी बदलियाँ, दिलो जान से दोनों क़बूल हैं, मगर उस नगर में न कैद कर, जहाँ जिंदगी की हवा न हो। |
कभी पलकों पे आँसू हैं, कभी लब पर शिकायत है, मगर ए ज़िन्दगी फिर भी, मुझे तुझ से मोहब्बत है |
कल न हम होंगे न कोई गिला होगा, सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा, जो लम्हे हैं चलो हँसकर बिता लें, जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा। |
कहती हैं मुझे ज़िन्दगी, कि मैं आदतें बदल लूँ, बहुत चला मैं लोगों के पीछे, अब थोड़ा खुद के साथ चल लूँ! |
कहीं पे ख़्वाब, कहीं पे ख़्वाहिश है ज़िन्दगी कहीं हक़ीक़त, तो कहीं नुमाइश है ज़िन्दगी |
कितना और बदलूं खुद को ज़िंदगी जीने के लिए, ऐ ज़िंदगी, मुझको थोड़ा सा मुझमें बाकी रहने दे। |
कुछ इस तरह फ़कीर ने ज़िंदगी की मिसाल दी, मुट्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी। |
कुछ ज़रूरतें पूरी तो कुछ ख्वाहिशें अधूरी, इन्ही सवालों के जवाब हैं ज़िन्दगी |
कुछ तो ख्याल रख मेरी उम्र का भी, ऐ जिंदगी कच्ची उम्र में इतने तजुर्बे ठीक नहीं |
कोई खुशियों की चाह में रोया, कोई दुखों की पनाह में रोया, अजीब सिलसिला है ये ज़िन्दगी का, कोई भरोसे के लिए रोया, तोह कोई भरोसा करके रोया |
क्यों वक़्त के साथ रंगत खो जाती है, हँसती खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है, एक सवेरा था जब हँसकर उठा करते थे हम, आज बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है। |
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